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Guidance of Human beings on the path of evolution

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आदि विष्णु स्वयं उत्क्रांति के पथ को विकसित करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं। उनके अवतरण आध्यात्मिक चेतना के विकास (मानव की) में मील के पत्थर है और एक-एक कर वे मानवीय ज्ञान के नए आयाम विकसित करते हैं।

Adi Vishnu himself develops and protects the path of evolution. Their incarnations are milestones in the evolution (of man) of spiritual consciousness and one by one they open up new dimensions of human knowledge.

अपने पाँचवे अवतरण में श्री विष्णु पहली बार मानव रूप में अवतरित हुए। उन्होंने बौने मनुष्य (वामन अवतार) का रूप धारण किया। परमात्मा को खोजने वाले मनुष्यों का मार्गदर्शन करने के लिए वे पृथ्वी पर अवतरित हुए। इस अवतरण ने मानव मस्तिष्क में ये धारणा भर दी कि वह तीनो लोकों (पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक और पाताल लोक) पर अधिकार कर सकता है।

In his fifth incarnation, Shri Vishnu incarnated in human form for the first time. He took the form of a dwarf man (Vaman avatar). He appeared on earth to guide humans in search of God. This incarnation filled the human mind with the belief that he can have control over all three worlds (earth world, heaven world and underworld).

उनका (विष्णु शक्ति का छठा अवतरण उग्र पुरुष श्री परशुराम का था। उन्होंने तपोबल द्वारा प्राप्त की गई शक्तियों की अभिव्यक्ति की पूर्ण विकास प्राप्त करने पर मानव के अंदर ‘मैं’ भाव (अहंकार) विकसित हो गया और तब मनुष्य को अपने अन्तर्निहित ‘अज्ञात’ की खोज की आवश्यकता महसूस हुई।. यह खोज व्यक्तिगत थी। बहुत से लोग संसार को त्याग कर जंगलों के पूर्ण एकांत में परम सत्य को खोजने के लिए चले गये। कई जन्मों में प्रायः वर्षों तक वे अपने इसी खोज में लगे रहे। परशुराम हठयोग और राजयोग के संस्थापक थे।

His (sixth incarnation of Vishnu Shakti) was of the fierce man Shri Parashuram. He expressed the powers obtained through Tapobal. On attaining full development, the ‘I’ feeling (ego) developed inside the human being and then the human being was freed from his inherent ‘unknown’. The need to search for ‘ was felt.

This search was personal. Many people left the world and went to the complete solitude of the forests to search for the ultimate truth. In many births, they remained engaged in this search, often for years. Parashurama He was the founder of Hatha Yoga and Raja Yoga.

त्रेतायुग में श्री राम अवतार में, सातवाँ अवतरण लेकर श्री. विष्णु शक्ति ने मानव रूप में भवसागर पार कर के चेतना के एक नये आयाम को स्पर्श किया। श्री राम रूप में उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक योजना ज्योतित की। परिणाम स्वरूप मानव में पहली बार सामूहिक चेतना जागृत हुयी।

In Tretayuga, Shri Ram took seventh incarnation. Vishnu Shakti crossed the ocean of existence in human form and touched a new dimension of consciousness. In the form of Shri Ram, he illuminated the social and political plan. As a result, collective consciousness was awakened in humans for the first time.

श्री राम के काल में आदिशक्ति तीन मानव रूपों में विद्यमान रहीं। “

During the time of Shri Ram, Adishakti existed in three human forms

श्री विष्णु का आठवाँ अवतरण द्वापर युग में श्री कृष्ण रूप में परमेश्वरी प्रेम की लीला का साक्षीभाव से आनंद उठाने के लिए

मानवीय सूझबूझ में एक नया आयाम खोलने के लिए वे अवतरित हुए थे।

To witness and enjoy the play of divine love in the form of Shri Krishna in the eighth incarnation of Shri Vishnu in Dwapara Yuga. He was incarnated to open a new dimension in human understanding.

श्री कृष्ण का जीवन जनता के बीच व्यतीत हुआ, इस प्रकार उनके अवतरण ने सामूहिक आध्यात्मिक आंदोलन की धारणा को बढ़ावा दिया। अर्जुन के समक्ष में विराट रूप में प्रकट हुए और पहली बार मानव चक्षु साक्षात श्री आदिपुरुष (विराट) की झलक देख पाए

Shri Krishna’s life was spent among the masses, thus his incarnation promoted the notion of a mass spiritual movement. Virat appeared before Arjun and for the first time human eyes could see the glimpse of Shri Adipurush (Virat).

श्री कृष्ण ने खेल खेल में जागृति देने का प्रयास किया. वे केवल सहजयोग का बीज बो पाए।

Shri Krishna tried to give awareness through sports. He could only sow the seeds of Sahaja Yoga.

अर्जुन को दी हुई उनकी शिक्षाएँ श्रमद्भगवद्गीता में संकलित हैं।

His teachings given to Arjuna are compiled in shramadbhagavadgeeta mein sankalit hain.

साक्षित्व की मूर्ति बनकर उन्होंने श्री राम की तरह बहुत से राक्षसों एवं राक्षसियों का वध किया। ये हस्तियाँ जब जब भी मानव को विकास प्रक्रिया में बाधा डालती हैं तो इनका वध किया जाना आवश्यक होता है। आदिशक्ति के अधिकतर अवतरण राक्षसों का वध करने के लिए ही हुए।”

Becoming the embodiment of Sakshithi, he killed many demons and demonesses like Shri Ram. Whenever these entities hinder human progress, they need to be killed. Most of the incarnations of Adishakti happened only to kill the demons.

श्री कृष्ण के समय भी आदिशक्ति ने तीन रूप धारण किए।’

Even during the time of Shri Krishna, Adishakti took three forms.

त्रिमूर्ति महेश, विष्णु और ब्रहमदेव ने एक गुरु, आदिगुरु दत्तात्रेय के रूप में अवतार लिया। लोगों को परमेश्वरी रहस्य बताने परमात्मा को प्रकट करने और मानव के अपने अस्तित्व में रहते हुए भ्रांति सागर ( भवसागर) पार करने में मानव की सहायता करने के लिए वे पृथ्वी पर आए।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हुए मनुष्य के हाथों में अब विकास प्रक्रिया और आगे नहीं बढ़ सकती थी, अतः आदिगुरु ने बार-बार भिन्न अवतरण लेकर मानव का मार्ग दर्शन किया। (आदि गुरु के अधिकतर अवतरण कलियुग में हुए)

The trinity Mahesh, Vishnu and Brahmadev incarnated as a guru, Adiguru Dattatreya. He came to earth to reveal God’s secrets to people and to help human beings cross the ocean of illusion (Bhavsagar) while remaining in human existence.

The process of evolution could no longer proceed further in the hands of man trapped in the darkness of ignorance, hence Adiguru repeatedly took different incarnations and guided man. (Most of the incarnations of Adi Guru took place in Kaliyuga)

आदि विष्णु के नौवे अवतरण ईसामसीह के गर्भधारण का कार्य कुँआरी (पावन) मेरो ने किया

The virgin (pure) Mary carried out the task of conceiving Jesus Christ, the ninth incarnation of Adi Vishnu.

ईसामसीह के अवतरण में परमात्मा के पुत्र रूप में पृथ्वी पर आध्यात्मिकता के सार तत्त्व की अभिव्यक्ति हुई। मानव हित के लिए परम पिता (विराट) के एकमात्र प्रियतम पुत्र के बलिदान का साक्षी सारा संसार था

In the incarnation of Jesus Christ, the essence of spirituality was manifested on earth in the form of the Son of God. The whole world was witness to the sacrifice of the only beloved son of the Supreme Father (Virat) for the welfare of mankind.

ईसामसीह के समय तक मानव परमपिता के विषय में जान चुका था परन्तु उसे इस बात का ज्ञान नहीं था कि मानव के आध्यात्मिक उत्थान के लिए उसके सांसारिक स्वार्थों का बलिदान किस प्रकार किया जाए। ईसा मसीह के पुनर्जन्म का यही अर्थ है

By the time of Jesus Christ, man had known about the Supreme Father but he did not know how to sacrifice his worldly interests for the spiritual upliftment of man. This is the meaning of the rebirth of Jesus Christ

श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल में आत्मा की जिस अनश्वरता के सत्य का वर्णन किया था, जिसे महाकवि व्यास ने श्रीभगवद्गीता में संकलित किया है, पहली बार मानवीय चेतना ने आत्मा के अमरत्व की इस गहन धारणा को समझा।

The truth of the immortality of the soul which was described by Shri Krishna during his lifetime, which has been compiled by the great poet Vyas in Shri Bhagavad Gita, for the first time the human consciousness understood this deep concept of immortality of the soul.

आदिशक्ति की अवतरण मेरी ने कुँआरेपन (पावनता) की उस शक्ति को स्पष्ट दर्शाया था जो माँ के पद को इतने शक्तिशाली और उच्च स्तर पर ला कर अपनी इच्छा मात्र से गर्भ धारण कर सके।

Mary, the incarnation of Adishakti, had clearly shown that power of virginity (purity) which brought the position of mother to such a powerful and high level that she could conceive just by her own will.

मेरी के जीवन ने पावनता की शक्ति द्वारा सामाजिक ( सामूहिक ) चेतना की महानतम उन्नति को दर्शाया तथा समाज विकास पथ पर अग्रसर हुआ।”

Mary’s life reflected the greatest advancement of social (collective) consciousness through the power of holiness and society moved forward on the path of development.”

हर परमेश्वरी अवतरण के अवतरित होने के बाद जीवन वृक्ष पर फूलों की तरह से सच्चे धर्म प्रकट होते हैं। धर्म के पुष्प कुसुमित करने के लिए भिन्न कालों में अवतरण आए। पर बहुत सारे मानव समूह ( अवतरण के जाने के बाद) दावा करने लगे कि वे ही अवतरण के संदेश के सच्चे व्याख्याकार (प्रतिपादक) हैं। इस प्रकार के सभी धर्म, इसके संस्थापक के संदेश के घिसेपिटे रूप में समझाने में ही लगे रहे और अन्ततः परमात्मा के नाम पर परस्पर युद्ध करने वाले असंख्य पंथों और दलो में बँट गए।’

After the incarnation of God, true religions appear like flowers on the tree of life. Incarnations came in different times to make the flowers of religion bloom. But many human groups (after the incarnation) began to claim that they were the true interpreters (propounders) of the message of the incarnation. All such religions continued to explain the message of its founder in a crude form and ultimately got divided into innumerable sects and factions fighting each other in the name of God.’

कलियुग के इस युग में एक बार पुनः वे सभी राक्षस (जिनका वध आदि शक्ति ने किया था) अपनी गद्दियों पर आरूढ़ हो गए हैं और इस बार वे राक्षस धर्म का चोला पहन कर झूठ झूठ के गुरुओं और योगियों के रूप में आए हैं

महामाया रूप में अवतरित आदिशक्ति स्वयं एक-एक कर के उनके दुष्कर्मो का भण्डाफोड़ करेंगी ।

In this era of Kaliyuga, once again all those demons (who were killed by Adi Shakti) have ascended to their thrones and this time they have come in the form of false gurus and yogis wearing the robe of demon religion.

Adishakti herself, incarnated in the form of Mahamaya, will expose their misdeeds one by one.

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