माँ का शिव रूप
तू ही शिव है तू ही शक्ति
तू ही शिखर वासिनि मां
तू ही कुंडलिनी में बैठी
तू ही शस्त्रार स्वामिनी मां
नारियों और चक्रों से जब तू
गुजरे बन के चैतन्य ओ मां
हो जाए इस पल ही मेरा
जीवन धन्य धन्य ओ मां
जिस पल तेरी तीसरी आंख
खुल जाती है ओ मेरी मां
बाधाएं हो जाती भस्म
हो जाती पवित्र ये श्रृष्टि मां
तू ही आदिशक्ति तू ही
आदिदेव है मां
मिट जाए सम्मुख तेरे
हर शरीर का भेद ओ मां
मंद मंद मुस्काए जब तू
लगती भोले शंकर मां
तेरे भोले मुखरे में दिखते
बाल रूप में गणेश ओ मां
धन्य हुआ ये मेरा जीवन
पाकर के तेरी दृष्टि मां
तेरे नेत्रों में है समाई
सारी ही सृष्टि ये मां
तू ही शिव है तू ही शंकर
तू ही रुद्र महेश्वर मां
तू महाकाल तू ही ओंकार
तू ही है गिरिजापति मां
करते हम अभिषेक तेरा
श्रद्धा के जल से ओ मां
तू ही नैया पार लगा दे
मेरी जननी निर्मल मां।
जय श्री माताजी नारियों और चक्रों से जब तू गुजरे बन के चैतन्य ओ मां
Written By Sahaji Ranjana jha